दिल का दर्द आंखों से बरस रहा सुकून की तलाश में मन तरस रहा. दिल का दर्द आंखों से बरस रहा सुकून की तलाश में मन तरस रहा.
उमड़ रहे आकाश में बादल घनघोर अंधेरा छा जाता! उमड़ रहे आकाश में बादल घनघोर अंधेरा छा जाता!
बादल गड-गड कर के बरस जा, यहीं प्राप्थना इस कविता में की गई है... बादल गड-गड कर के बरस जा, यहीं प्राप्थना इस कविता में की गई है...
शाखों की बाहों से झांके, दुल्हन बनी बदरिया रे शाखों की बाहों से झांके, दुल्हन बनी बदरिया रे
याद आती है वो बातें, याद आती है वो मुलाकातें। याद आती है वो बातें, याद आती है वो मुलाकातें।
बन के फुहार तुम साँझ को आना दिन में तुम रिमझिम गिरना रात को तुम बिजली संग आना बन के फुहार तुम साँझ को आना दिन में तुम रिमझिम गिरना रात को तुम बिजली संग ...